खड़े होकर पानी पीते हैं तो जल्दी ही इन रोगों से होगा सामना, जानें पानी पीने के सही तरीके

 खड़े होकर पानी पीते हैं तो जल्दी ही इन रोगों से होगा सामना, जानें पानी पीने के सही तरीके

हम सभी अपने दैनिक जीवन में कई ऐसे काम करते हैं लेकिन यह नहीं जानते कि जो हम कर रहे हैं वह सही तरीका है या नहीं. जैसे कि हम सभी पानी पीते हैं कई लोगों को यह नहीं पता होता है कि पानी पीने का सही तरीका क्या हो सकता है?


हम अक्सर सुनते हैं कि खड़े होकर पानी पीने से कई बीमारियाँ होती हैं प्लास्टिक के बोतल से पानी पीने से भी परेशानी होती है. तो आइए जानते हैं कि पानी पीने का सही तरीका क्या है? पानी पीना सेहत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है सही तरीके से पानी पीना भी जरूरी है. यहां कुछ सुझाव दिए जा रहे हैं, जो आपके काम आ सकते हैं.

पानी पीने के फायदे सही तरीका

एक अंतराल पर पानी पिएं. दिन में कम से कम 8-10 गिलास पानी पीना सेहत के लिए काफी सही होता है. आप जब भी मॉर्निंग में उठते हैं तो कोशिश करिए कि एक गिलास गुनगुने पानी के साथ अपने शरीर को हाइड्रेटेड करें. साथ ही गर्मी के मौसम में ठंडा पानी पीना सही होता लेकिन ज्यादा ठंडा भी नहीं है. वहीं, सर्दी के मौसम में गर्म पानी ही लें ताकि आपकी बॉडी गर्म रहें.

नारियल पानी भी करें शामिल

इसके अलावा भारी भोजन से पहले बाद में पानी पीने से पाचन सिस्टम को बेहतर से काम करने में मदद मिलती है. अगर आपने लाइफस्टाइल में नारियल का पानी भी शामिल कर लिया तो आपके सेहत के लिए काफी अच्छा साबित हो सकता है.जब नारियल पानी पीते हैं तो शरीर को इलेक्ट्रोलाइट्स मिलता है. फलों सब्जियों में प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला पानी भी होता है, जिससे आपका शरीर भी स्वस्थ रहता है. आपकी आयु, जीवनशैली, शारीरिक गतिविधियों के आधार पर पानी की आवश्यकता बदल सकती है, इसलिए आपको अपनी आवश्यकताओं के हिसाब से पानी पीना चाहिए. साथ ही शरीर की प्यास का अहसास करें जब भी आपको लगे कि आप प्यासे हैं, तो तुरंत पानी पीना जरुर लें.

आखिर क्यों खड़े होकर पानी नहीं पीना चाहिए

अगर आप खड़े होकर पानी पीते हैं तो आज से ही बंद कर दीजिए. जब आप खड़े होकर पानी पीते हैं तो फुड पाइप से तेज गति से पानी गुजरता है पेट के निचले हिस्से तक पहुंचता है. इससे पाचन क्रिया पर बुरा असर पड़ता है. जब हम खड़े होकर पानी पीते हैं तो पानी बिना फिल्टर हुए ही पेट में पहुंच जाता है जमा हुई अशुद्धियां पित्ताशय में पहुंच जाती हैं. इससे मूत्र पथ संबंधी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है.

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